77 प्रतिशत देश की आबादी पर कब्जा जमाने वाली भाजपा की इतनी गहरी हैं जड़ें

नई दिल्लीः 20 से अधिक राज्यों में सत्ता व 77 फीसदी आबादी पर दबदबा बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी के बारे में कहा जाता है कि वह इस समय विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है। 6 अप्रैल को भले ही भाजपा अपना 38वां स्थापना दिवस मना रही हो लेकिन इसका इतिहास उससे भी बहुत ज्यादा पुराना है। इसकी जड़ें भारतीय जनसंघ से जुड़ी हैं। जनसंघ की स्थापना अक्टूबर, 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी। वह 1947 में आजाद भारत की पहली कैबिनेट के सदस्य थे। देश के पहले आम चुनावों (1951-52) में जनसंघ को तीन सीटें मिलीं और इसको देश की चार राष्ट्रीय पार्टियों की सूची में स्थान मिला।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

जनसंघ ने कश्मीर व कच्छ के एकीकरण की मांग करते हुए जमींदारी व जागीरदारी व्यवस्था के विरूद्ध आवाज बुलंद की। कश्मीर में प्रवेश के लिए अनुमति लेने की मांग के विरूद्ध डॉ. मुखर्जी ने आंदोलन चलाया। उनको पकड़ लिया गया और 45 दिन कारागार में रहने के दौरान ही 23 जून, 1953 को उनका निधन हो गया। उस दौरान जनसंघ ने नारा दिया, ’नहीं चलेंगे एक देश में दो विधान, दो मुख्य व दो निशान।’

अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार एमपी बने

1957 में दूसरे लोकसभा चुनावों में जनसंघ को चार सीटें मिलीं। उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार संसद सदस्य बने। उनकी मदद के लिए लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली आए। 1962 में जब चाइना ने हिंदुस्तान पर आक्रमण किया तो आरएसएस/जनसंघ ने सरकार के अनुरोध पर सिविक व पुलिस ड्यूटी का भूमिका भी निभाई। पंडित नेहरू ने 1963 में रिपब्लिक डे परेड में आरएसएस को मार्च के लिए आमंत्रित किया।


पंडित दीनदयाल उपाध्याय की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत

1962 के तीसरे लोकसभा चुनावों में जनसंघ को 14 सीटें मिलीं। 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान संघ के स्वयंसेवकों ने सिविलियन ड्यूटी के रूप में सहायता दी। चौथे लोकसभा चुनाव (1967) में जनसंघ को 35 सीटें मिलीं। 1968 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई। 1969 में अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के अध्यक्ष बने। अप्रैल, 1970 में लालकृष्ण आडवाणी राज्यसभा के लिए चुने गए। अप्रैल, 1971 में भारतीय जनसंघ ने ’गरीबी के विरूद्ध जंग’ का चुनावी नारा दिया। उस वर्ष के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 22 सीटें मिलीं। 1973 में लालकृष्ण आडवाणी जनसंघ के अध्यक्ष बने।

जनता पार्टी

1975 में जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी सरकार के विरूद्ध संपूर्ण क्रांति का नारा देते हुए जनसंघ के साथ हाथ मिलाया। उस दौरान उन्होंने कहा कि यदि जनसंघ सांप्रदायिक है तो मैं भी सांप्रदायिक हूं। इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा दी। इसी पृष्ठभूमि में 1977 के चुनाव हुए। इस दौरान जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी का गठन हुआ। इसके गठन के लिए जनसंघ, बीएलडी, कांग्रेस (ओ), समाजवादी व सीएफडी का इसमें विलय हो गया। नतीजतन 1977 में जनता पार्टी ने 295 सीटें जीतकर कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया। जनता पार्टी की सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री व एलके आडवाणी सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने। जनता पार्टी का इस्तेमाल हालांकि 30 महीनों के भीतर आंतरिक विरोधों के कारण टूट गया। लिहाजा जनसंघ के धड़े ने 6 अप्रैल, 1980 को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गठन किया और इस तरह भाजपा का जनसंघ से उदय हुआ।