मगध में होगी लालू-मांझी के दोस्ती की परीक्षा

पटनाः मगध क्षेत्र इस बार हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) व राजद की नई दोस्ती का इम्तिहान लेगा। यहां राजद प्रमुख लालू प्रसाद की सियासी पकड़ गहरी है और यह हम प्रमुख जीतनराम मांझी की जन्म व कर्मभूमि भी है। दोनों की दोस्ती क्या गुल खिलाएगी ? यह भविष्य ही बताएगा लेकिन फिलहाल लालू के सहारे मांझी अपनी नाव को मंझधार से बाहर निकालने की प्रयास में जुटे हैं।

मांझी की सियासी हैसियत बताती है कि मगध में लालू को हम से कोई विशेष लाभ नहीं होने वाला है। 2015 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के प्रदर्शन में आसमान-जमीन का अंतर है। मगध की कुल 26 विधानसभा सीटों में सर्वाधिक 10 सीटें लालू प्रसाद के हिस्से आई थीं, तब महागठबंधन के तीनों दलों ने मिलकर 21 सीटों पर कब्जा जमाया था, जबकि मांझी के साथ साझेदारी करके चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी को अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल सकी थी।


भाजपा को 5 व मांझी को महज 1 सीट से संतोष करना पड़ा था। मांझी खुद दो सीटों पर लड़कर एक पर पराजय चुके थे, राजग ने मांझी को कुल 21 सीटें दी थीं। जिसमें मगध में उन्होंने 7 प्रत्याशी उतारकर खुद को आजमा लिया। साफ है कि चुनाव परिणाम ने मांझी की सियासी हैसियत की पोल खोल दी थी, जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें भाव देना बंद कर दिया। शायद बीजेपी को अहसास हो गया था कि सर्वाधिक महादलित आबादी वाले मगध में जब मांझी का यह हाल है तो शेष बिहार के लिए उम्मीद करना भी बेमानी होगा।