द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने के तरीके पर मोदी, शी ने की चर्चा

वुहान (चीन): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को चीनी शहर वुहान में दो दिवसीय अनौपचारिक वार्ता के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के तरीकों पर चर्चा की। इस सम्मेलन को ’अपनी तरह का एक अनोखा’ सम्मेलन माना जा रहा है।

विदेश मंत्रालय ने कहा, “शी द्वारा हुबई प्रांतीय संग्रहालय में प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत करने के बाद, दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के साथ मुलाकात की, जिसके दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंध को मजबूत करने पर विचार साझा किए।“

मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर कहा, “संग्रहालय में प्रधानमंत्री का एक प्रभावशाली सांस्कृतिक कार्यक्रम के द्वारा स्वागत किया गया।“ उन्होंने कहा, “भारत और चीन की संस्कृति का संबंध कई शताब्दियों पुराना है और मौजूदा समय में यह बॉलीवुड की लोकप्रियता, योग और भारतीय संस्कृति के अन्य रूपों से परिलक्षित होता है।“

मोदी चीन के समयानुसार दोपहर करीब 3.30 बजे हुबेई प्रांतीय संग्रहालय पहुंचे और 30 सेकेंड तक बड़ी ही गर्मजोशी से शी जिनपिंग से हाथ मिलाया। दोनों नेताओं ने इसके बाद एक घंटे तक संग्रहालय का दौरा किया। दोनों नेताओं ने हुबई की संस्कृति पर विशेष रूप से केंद्रित चीनी सभ्यता के पुरावशेष की प्रदर्शनी देखी। 


मोदी और शी ने दो प्राचीन सभ्यता चीन व भारत के बीच संबंधों और संचारों पर अपने विचार साझा किए। शी और मोदी शाम छह बजे एक और बैठक में हिस्सा लेंगे। इस दौरान दोनों पक्षों का प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद रहेगा। इसके बाद शी जिनपिंग की मेजबानी में रात्रिभोज का आयोजन किया जाएगा।

वार्ता के दूसरे दिन शनिवार को दोनों नेता ईस्ट लेक जाएंगे और नौका की सवारी करेंगे। इस दौरान ईस्ट लेक गेस्टहाउस में दोनों के बीच चर्चा भी होगी। भारत और चीन के बीच 1962 में युद्ध हुआ था और इस तरह दोनों देशों के बीच आपसी अविश्वास का लंबा-चौड़ा इतिहास रहा है। साल 2017 में डोकलाम विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच हालात बहुत बिगड़ गए थे।

हालांकि, चीन के वुहान शहर में मोदी और जिनपिंग के बीच यह अपनी तरह की अनोखी मुलाकात है, जो द्विपक्षीय संबंधों की नई शुरुआत का संकेत है। चीनी वेस्ट नार्मल विश्वविद्यालय में भारतीय अध्ययन के निदेशक लांग शिंगचुन ने कहा, “यह दोनों नेताओं के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक है। इन दोनों देशों के नेताओं के बीच विकास एक मत्वपूर्ण मुद्दा होगा।“

उन्होंने कहा, “भारत, चीन के सहयोग से अपने लक्ष्य को पा सकता है और वैश्विक शक्ति बन सकता है। चीन भारत से अमीर और मजबूत है लेकिन हमारे सामने कई घरेलू समस्याएं हैं, जिनसे हमें निपटना है।“ लांग ने कहा, “दोनों देशों को विकास को प्राथमिकता देने की जरूरत है। अब, अमेरिका की संरक्षणवादी नीति भारत और चीन दोनों के लिए अच्छी खबर नहीं है।“