अब कर्नाटक का किला कांग्रेस से छीनने को बेताब भाजपा

नई दिल्लीः पिछले दिनों त्रिपुरा में ऐतिहासिक जीत के बाद जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दिल्ली में पार्टी कार्यालय पहुंचे तो सबसे पहले उन्होंने जो बात कही, उसमें आने वाले कर्नाटक चुनावों का जिक्र था। इसी एक बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा के लिए कर्नाटक कितना अहम है क्योंकि त्रिपुरा की जीत के जश्न में डूबी पार्टी ने इस मौके पर भी उसका जिक्र करने से गुरेज नही किया। नॉर्थ-ईस्ट में 3 राज्यों में हुए चुनावों व उन सभी में सत्ता हासिल करने में सफल रही भाजपा के लिए अगला लक्ष्य कर्नाटक 2019 के आम चुनावों के लिहाज से बेहद अहम है। दरअसल राष्ट्र के नॉर्थ-ईस्ट, साउथ व साउथ-ईस्ट हिस्से में कुल मिलाकर 216 लोकसभा सीटें हैं। पिछली बार भाजपा को इनमें से महज 32 सीटें मिली थीं। नॉर्थ-ईस्ट की 25 सीटों को छोड़कर दक्षिण व पूर्व में 191 सीटें हैं। इनमें से पिछली बार भाजपा को केवल 24 सीटें मिली थीं, जिनमें अकेले कर्नाटक से पार्टी को 17 सीटें मिलीं। अबकी बार भाजपा किसी भी कीमत पर यहां ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए कोशिश कर रही है। इस कड़ी में कर्नाटक उसके लिए सबसे अहम है क्योंकि ये उसके लिए दक्षिण का प्रवेश द्वार है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि ये दक्षिण का एकमात्र राज्य है जहां 2008-13 के दौरान कमल खिला था। इसलिए इस बार उम्मीद भी सबसे ज्यादा यहीं से है। यदि कर्नाटक को कांग्रेस पार्टी से छीनने में पार्टी सफल हो जाती है तो दक्षिण व दक्षिण-पूर्वी राज्यों ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे राज्यों में भाजपा के हौसले बुलंद हो जाएंगे। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि भाजपा हिंदी पट्टी राज्यों में अपने शिखर पर पहुंच गई है। ऐसे में यदि 2019 में इन क्षेत्रों में पार्टी के प्रदर्शन में कुछ गिरावट आती भी है तो वह इन क्षेत्रों में अपने प्रदर्शन को बेहतर कर उसकी भरपाई करने के मूड में है।