नई दिल्लीः देश भर के रेजिडेंट डॉक्टर और मेडिकल के छात्र 2 अप्रैल को चिकित्सा हड़ताल करेंगे। एनएमसी विधेयक 2017 और डॉक्टरों तथा अस्पतालों के चिकित्सा कर्मियों के प्रति हिंसा के विरोध में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के समक्ष राष्ट्रीय स्तर पर धरना आयोजित किया जाएगा। सभी जिलों में 10 लाख से अधिक डॉक्टर और तीन लाख से अधिक मेडिकल छात्र रैलियां आयोजित करेंगे। सभी डॉक्टर आपातकालीन मामलों को छोड़कर सभी क्लिनिकल कार्यो का बहिष्कार करेंगे।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़कर डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा विषय पर संबोधित करेंगे और बताएंगे कि ’डॉक्टरों के लिए बढ़ाई जा रही समस्याएं अब और सहन नहीं होंगी, अब इसका परिणाम भुगतने का वक्त आ गया है।’
डॉ. रवि वानखेड़कर ने एक बयान में कहा, “अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करना एक अहम मुद्दा है, जिसके लिए हम प्रदर्शन कर रहे हैं। डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति हिंसा की अब निंदा नहीं की जाएगी क्योंकि इसका ताल्लुक किसी न किसी रूप में सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली अधोसंरचना और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से है।“
उन्होंने कहा, “लोगों को चिकित्सा लापरवाही का असल मतलब समझना होगा कि डॉक्टर कभी गलत सर्जरी करने की मंशा नहीं रखते और लोगों को कभी भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। आईएमए ने यह भी मांग रखी है कि मामूली उपचार त्रुटि को आपराधिक मुकदमे की श्रेणी में न रखा जाए।“
हड़ताल की अगुवाई आईएमए के अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़कर करेंगे जिन्हें मेडिकल छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों की संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से गठित मेडिकल यूथ नेशनल एक्शन काउंसिल का समर्थन मिलेगा। आईएमए के प्रतिनिधि जिला रैलियों में शामिल होंगे और देश के सभी जिलाधिकारियों को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे।
डॉ. रवि ने एनएमसी विधेयक 2017 तत्काल वापस लेने और केंद्रीय कानून (डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा खत्म करने के लिए) लागू करने की मांग को लेकर युवाओं के आंदोलन को आईएमए की ओर से पूर्ण सहयोग देने की भी घोषणा की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो सभी डॉक्टर हड़ताल समेत और उग्र आंदोलन के लिए मजबूर हो सकते हैं।