आरएसएस के हवाले से शिवसेना ने भाजपा पर साधा निशाना

मुंबईः शिवसेना ने सोमवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के 30 मार्च को रायगढ़ में दिए गए ’शिक्षाप्रद’ भाषण का प्रयोग कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा है। शिवसेना ने रायगढ़ किले पर भागवत के बयान का हवाला देते हुए कहा, “देश में भ्रष्टाचार बढ़ा है। यही कारण है कि पूरे भारत में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन हो रहे हैं। आत्मविश्लेषण करने के बजाए इसे नजरअंदाज किया जा रहा है।“

आरएसएस प्रमुख ने अन्य मुद्दों के साथ कहा था कि देश में राज्यतंत्र (पॉलिटी) कमजोर हुआ है और महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी नहीं है। उन्होंने मराठा योद्धा महाराज शिवाजी की भी यह कहते हुए प्रशंसा की थी कि उन्होंने बिना किसी भी प्रकार के धार्मिक भेदभाव के शासन किया था।

शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ’सामना’ और ’दोपहर के सामना’ के संपादकीय में कहा, “इन दिनों, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (रांकपा) ने भ्रष्टाचार के खिलाफ महाराष्ट्र में ’हल्ला बोल’ अभियान चला रखा है। ऐसा लगता है कि भागवत ने थोड़ी देर के लिए इस आंदोलन की कमान संभाल ली और रायगढ़ की ऊंचाई से भ्रष्टाचार को नीचे ढकेल दिया।“

शिवसेना ने 2014 के आम चुनावों के संदर्भ में कहा कि यह भ्रष्टाचार का ही मुद्दा था जिसके कारण लाखों आरएसएस कार्यकर्ताओं ने उस वक्त की (संप्रग) सरकार को सत्ता से हटाने के लिए कड़ी मेहनत की थी। संपादकीय में कहा गया, “प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के रहने के बावजूद देश में भ्रष्टाचार बढ़ा है और इसकी घोषणा भागवत ने खुद कर दी है। चारों ओर भ्रष्टाचार की चर्चा है, विपक्ष ने इस मुद्दे पर एक सप्ताह तक संसद को शक्तिहीन कर दिया, अन्ना हजारे ने भी इस मुद्दे पर नई दिल्ली में एक सप्ताह का आंदोलन किया है।“


संपादकीय में कहा गया कि भागवत को यह तीखा सवाल उठाने पर मजबूर किया गया कि ’क्यों सामाजिक और राजनीतिक संगठन इस तरह के आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि भ्रष्टातार तेजी से बढ़ रहा है।’

शिवसेना ने कहा, “आरएसएस, भाजपा का अभिभावक है और उसका विचार महत्वपूर्ण है। और, अगर किसी को लगता है आरएसएस प्रमुख बेतुकी बातें कर रहे हैं, तो वह आगे आकर इस बात को कहने की हिम्मत दिखाए।“

भागवत के इस बयान के संदर्भ में कि शिवाजी ने बिना किसी धार्मिक भेदभाव के शासन किया था, शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में एक दलित की इसलिए हत्या कर दी जाती है क्योंकि उसने घोड़ा पाला हुआ था और उस पर वह सवार होता था, रामनवमी के दौरान बंगाल में हिंसा फैल जाती है और तलवारें लहराई जाती हैं जबकि अयोध्या में राम मंदिर बनाने का वादा अधूरा रह जाता है।