विलुप्त होता जा रहा देश का सबसे खूबसूरत पक्षी

नई दिल्लीः ’तुझमें क्या सुर्खाब के पर लगे हैं’, इस कहावत से हर कोई वाकिफ भी होगा। इसकी वजह यह है कि सुर्खाब देश का सुंदरतम पक्षी माना जाता है। भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून की टीम गंगा किनारे रहने वाले इसी तरह के पक्षियों की खोज करने निकली है। एक हफ्ते बाद यह कानपुर भी पहुंचेगी।

बीते सोमवार को वन्य जीव संस्थान की एक दूसरी टीम यहां गंगा के जल का परीक्षण कर चुकी है। पिछली बार यहां आई टीम को बहुत ज्यादा निराश होना पड़ा था, टीम की रिपोर्ट में बताया गया था कि सुर्खाब जैसे पक्षियों व गंगा में पाए जाने वाले जलीय जंतुओं का कानपुर में गंगा से दूर-दूर तक का रिश्ता नहीं है। प्रदूषण को इसकी प्रमुख वजह माना गया था।


बिजनौर से पश्चिम बंगाल के हल्दिया के समीप स्थित नूरपुर तक गंगा किनारे रहने वाले पक्षियों व गंगा में रहने वाले वन्य जीवों का अध्ययन किया जा रहा है। साथ ही टीम इस बात का भी अध्ययन करेगी कि जिन जगहों पर पक्षी व जलीय जंतु अधिक मिलते हैं तो इसकी वजह क्या है अगर इनका अभाव है तो उसका कारण क्या है ? गंगाजल की गुणवत्ता कहां किस तरह की है ? गंगा में जलीय जंतुओं व उसके किनारे रहने वाले पक्षियों के सेहत पर उसका किस तरह का प्रभाव पड़ रहा है ? इसका भी अध्ययन किया जाएगा। 

गौरतलब है कि पिछली बार जब विशेषज्ञों की टीम कानपुर आई थी तो उन्हें मुंह पर रुमाल रखकर गंगा के पानी का परीक्षण करना पड़ा था। टीम के वही सदस्य फिर आ रहे हैं। गंगेटिक डाल्फिन, घड़ियाल, कछुआ. पक्षियों में सुर्खाब, भारतीय स्टीमर, रेडिस एल्डक के अतिरिक्त कई अन्य प्रजातियां जो गंगा में पाई जाती है। 

बिजनौर, मेरठ, बरेली, अलीगढ़, कानपुर, इलाहाबाद, बनारस, पटना, हल्दिया भारतीय वन्य जीव संस्थान की तरफ से गंगा के अंदर व उसके किनारे रहने वाले जीव जंतुओं की संख्या तथा वहां के रहन-सहन का पता लगाया जा रहा है। जगह-जगह गंगा में व उसके किनारे के क्षेत्रों में प्रदूषण की क्या स्थिति है, इसकी भी जांच की जा रही है।