समूचे विश्व की आत्मा है सूर्य : पीएम मोदी

नई दिल्लीः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सह-मेजबानी में आयोजित किए जा रहे पहले अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा शिखर सम्मेलन में रविवार को ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका समेत 23 देशों के प्रमुख शामिल हो रहे हैं। शिखर सम्मेलन में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय मशीनरी, जनता से वित्त पोषण व तकनीक के ट्रान्सफर पर विचार विमर्श किया जाएगा। सम्मेलन में कई राष्ट्रों की तरफ से परियोजनाओं के नमूनों का प्रदर्शन भी किया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा शिखर सम्मेलन राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में हो रहा है, सभी राष्ट्राध्यक्षों का राष्ट्रपति भवन में स्वागत खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने किया। पृष्ठभूमि में गुजरात के मोधारे का सूर्य मंदिर नजर आ रहा है, सभी नेताओं ने साथ में एक ग्रुप फोटो खिंचवाई। सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा शिखर सम्मेलन का यह नन्हा पौधा आप सभी के सम्मिलित कोशिश व प्रतिबद्धता के बिना रोपा ही नहीं जा सकता था, इसलिए मैं फ्रांस का व आप सबका बहुत आभारी हूं। 121 सम्भावित राष्ट्रों में से 61 साझेदारी में शामिल हो चुके हैं, 32 ने समझौते की रूपरेखा का समर्थन किया है। पीएम ने सूर्य को वेदों की आत्मा करार देते हुए कहा कि भारत में वेदों ने हजारो वर्ष पहले से सूर्य को विश्व की आत्मा माना है। भारत में सूर्य को पूरे ज़िंदगी का पोषक माना गया है, आज जब हम मौसम बदलाव जैसी चुनौती से निपटने का रास्ता ढूंढ रहे हैं तो हमे प्राचीन दर्शन के संतुलन व समग्र दृष्टिकोण की ओर देखना होगा। मोदी ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कहा कि सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए तकनीक की उपलब्धता व विकास, आर्थिक संसाधन, कीमतों में कमी, भंडारण प्रौद्योगिकी का विकास, जन निर्माण व नवीनीकरण के लिए पूरा पारिस्थितिकी तंत्र जरुरी है। आगे का रास्ता क्या है, यह हम सबको सोचना है, मेरे मन में दस क्रिया बिंदु हैं जो मैं आपसे साझा करना चाहता हूं। सर्वप्रथम हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बेहतर व सस्ती सोलर तकनीक सबके लिए सुगम व सुलभ हो, हमें हमारे ऊर्जा मिलावट में सौर ऊर्जा का अनुपात बढ़ाना होगा।