700 वर्ष का बुजुर्ग हो गया है ये पेड़

नई दिल्लीः मानव ज़िंदगी की रक्षा के लिए जो पेड़ वर्षों से ऑक्सीजन देते रहे हैं, ऐसे ही पेड़ों का एक सरताज आज जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। यह है 700 वर्ष पुराना एक बरगद का पेड़, जो हिंदुस्तान ही नही बल्कि संसार का दूसरा सबसे बड़ा पेड़ है, लेकिन आज वो जीवन सपोर्ट सिस्टम पर जी रहा है। हमारी जिंदगी के लिए इतने वर्षों तक जूझने वाला ये पेड़ पता नही कब इस संसार को अलविदा कह दे।

लोगों का दिली जुड़ाव है

यूं तो बरगद के पेड़ आमतौर पर कई सौ वर्षों तक जीते हैं, लेकिन तेलंगाना के महाबूबनगर जिले के पिल्ललमारी इलाके में मौजूद ये पेड़ करीब 700 वर्षों से इंसानों को ऑक्सीजन और छांव देता आ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह पेड़ इतना अधिक पुराना है कि इसे हिंदुस्तान ही नही पूरे संसार में दूसरे सबसे उम्रदराज पेड़ का खिताब मिला हुआ है। इस इलाके में रहने वाले लोगों की कई पीढ़ियां इस बरगद की छांव में अपनी जिदंगी के कुछ यादगार पल बिता चुकी हैं, तभी तो इस पेड से उनका दिली जुड़ाव भी है। पर अब ये अपनी आखिरी सांसे गिन रहा है।


दीमक का हमला

इतने वर्षों तक ख्याल रखने वाला ये पुराना पेड़ आज आखिरी सांसे गिन रहा है। वजह है दीमक जिसके कारण इस बरगद की जड़ों से लेकर, शाखाएं और तने हर जगह से खोखले हो चुके हैं। उसके चलते पेड़ पल-पल टूट रहा है। कई सौ वर्ष पुराने इस पेड़ की ऐसी हालत न सिर्फ वहां रहने वाले लोगों को परेशान कर रही है, बल्कि पर्यावरण से जुड़े लोग भी पेड़ की हालत देखकर दुखी हैं। इलाकाई लोगों को जब इस विशालकाय बरगद की ऐसी दयनीय हालत का एहसास हुआ तो उन्होंने इस पेड़ को बचाने के लिए एक मुहिम सी चला दी है। जिसमें कई विशेषज्ञ भी शामिल हो चुके हैं। इस कोशिश में पेड़ की खोखली हो चुकी विशालकाय शाखाओं और तनों को टूटने से बचाने के लिए लोगों ने कंक्रीट की दीवारें खड़ी कर दीं, ताकि पेड़ की शाखाओं को सहारा दिया जा सके।

लगाई गई अनोखी सलाइन

फिलहाल इस पेड़ की जिंदगी बचाए रखने के लिए लोग पूरी तरह से इसके उपचार में जुटे हैं। दशा यह है कि पेड़ में लगी दीमक को खत्म करने के लिए सैकड़ों की संख्या में सलाइन ड्रिप से पेड़ के तने, शाखाओं व जड़ों में नमकीन पानी इंजेक्ट किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि ऐसा करने से यह बुजुर्ग पेड़ दीमक से मुक्त होकर धीरे-धीरे स्वस्थ हो जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो हम इस पेड़ को हरा भरा देख पायेंगे।