गणपति के भोग में मोदक क्यों है खास ?

लखनऊः माता अनुसूया प्राचीन काल के प्रसिद्ध ऋषि अत्रि की पत्नी थीं। कथा है कि एक बार शिव, पार्वती बालक गणेश के साथ उनके यहां भोजन पर आमंत्रित थे। बाल गणेश और ईश्वर शिव ने माता अनुसूया से बोला कि उन्हें बहुत तेज भूख लगी है तो उन्होंने शिव जी से प्रतीक्षा करने के लिए कह कर पहले बालक गणेश को भोजन कराने का फैसला किया। इधर गणेश जी की भूख शांत ही नही हो रही थी वे भोजन करते जा रहे थे। अनुसूया के साथ साथ्ज्ञ शिव पावर्ती भी दंग थे कि ऐसा क्यों हो रहा है। अंत में अनुसूया को एक तरीका समझ में आया जिससे वे गणेश जी की भूख शांत कर सकती थीं।

चखाया मोदक का स्वाद

अब गणपति की भूख शांत करने लिए अनुसूया ने फैसला किया कि जब इस खाने से उनकी भूख शांत नही हो रही तो शायद कुछ मीठा खाने से उनका पेट भर जाए। तब उन्होंने गणेश जी को एक विशेष मिष्ठान परोसा जिसको खाते ही वे तृप्त हो गए और आनंद से जोरदार डकार ली। इतना ही गणपति के क्षुधा शांत होते ही ईश्वर शंकर को भी लगा कि उनका पेट भी भर गया है और उन्होंने न सिर्फ एक बार बल्कि 21 बार डकार ली और बोला कि वे तृप्त हो गए अब भोजन नही करेंगे। इस चमत्कार से दंग देवी पार्वती ने अनुसूया जी से उस मिठाई का नाम पूछा तो उन्होंने बताया कि ये विशेष प्रकार की मिठाई मोदक है।

तब से प्रारंभ हुआ मोदक का भोग

इस चमत्कारी मिठाई के बारे में जान कर और उसका असर देख कर माता पार्वती अत्यंत प्रभावित हुईं। साथ ही जब उन्होंने देखा कि उनके पुत्र गणेश को ये मिष्ठान इतना पसंद है तब उन्होंने बोला कि अब से गणेश के भक्त उन्हें हमेशा 21 मोदक का भोग लगाएंगे।