अवसाद से निकालता हैं नियमित योगासन

लखनऊः मनोचिकित्सकों के अनुसार अवसाद होने के कई कारण हो सकते हैं। यह मूलतः किसी आदमी की सोच की बनावट या उसके मूल व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। अवसाद में उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक की संबंध तक बेमानी हो जाते हैं और कभी-कभी जैवरासायनिक असंतुलन के कारण भी अवसाद घेर लेता है। इससे बाहर निकलना बेहद कठिन होता है।



इंसान के शरीर में दिखाई देने वाले जख्मों की दवा तो हम कर सकते है पर जब इंसान मन से बीमार होता है तो किसी को दिखाई नही देता। जिस तरह दीमक एक लकड़ी को अंदर से पूरी तरह खोखला कर देती है अच्छा उसी तरह अवसाद(डिप्रेशन) भी दीमक की तरह किसी भी इंसान को भीतर से ख़त्म कर देता है। ऐसी स्थिति में लोग खुद को तन्हा महसूस करते हैं। इस खतरे को कम करने में योगासन अहम किरदार निभाता है। एक अध्ययन के मुताबिक अस्पताल में भर्ती 20 प्रतिशत मरीजो को अवसाद के कारण दिल का दौरा पड़ने का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है।

अवसाद के इलाज में योगासन बहुत सहायक सिद्ध हुआ है साथ ही यदि कोई आदमी लगातार सकारात्मक सोच का एक्सरसाइज करता है, तो वह आपने डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति का एकमात्र उपचार खुद ही कर सकता है इसलिए हमेशा सकारात्मक सोच को दिमाग में रखना चाहिए। योगासन शरीर के पांच मुख्यांगों, स्नायु तंत्र, रक्ताभिगमन तंत्र, श्वासोच्छवास तंत्र की क्रियाओं का व्यवस्थित रूप से संचालन करते हैं जिससे शरीर पूर्णतः स्वस्थ बना रहता है और कोई रोग नही होता है। व्यायाम पद्धतियां केवल वाह्य शरीर को ही प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं, जब कि योगासन मानव का चहुँमुखी विकास करते हैं।