लंदनः जिगर में अनियंत्रित कैंसर कोशिकाओं के प्रसार की रोकथाम करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक खास तरह के प्रोटीन की खोज की है। कैंसर-रोधी इस प्रोटीन को एलएचपीपी नाम दिया गया है। ’नेचर’ नामक जर्नल में प्रकाशित इस शोध में कहा गया कि एलएचपीपी जिगर (लीवर) के कैंसर की पहचान व निदान में बायोमार्कर अर्थात जैविक स्थिति का परिचायक हो सकता है।
आम तौर पर जिगर के कैंसर की पहचान जब होती है तब तक बहुत देर हो जाती है, मतलब कैंसर का रोग गहरा जाता है और जिगर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाता है। ऐसे में रोग का निदान कठिन हो जाता है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि कैंसर-रोधी इस प्रोटीन से चिकित्सकों को बेहतर इलाज का विकल्प मिल सकता है। शोध के लेखक व स्विटजरलैंड स्थित बासेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ता स्रावंत हिंदुपुर ने कहा, “यह दिलचस्प बात है कि एलएचपीपी स्वस्थ ऊतक में मौजूद रहता है और ट्यूमर वाले ऊतक में यह बिल्कुल नहीं पाया जाता है।“