जाने क्यों पिता सूर्य से है शनिदेव की प्रतिद्वंदिता ?

लखनऊः धर्मग्रंथो के अनुसार सूर्य की पत्नी संज्ञा की छाया जब सूर्य के संपर्क में आई तो उनके गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ था। कहते हैं कि जब शनि देव छाया के गर्भ में थे तब वे ईश्वर शंकर की भक्ति में इतनी ध्यान मग्न थीं की उन्हें अपने खाने पीने तक की सुध नही थी। इसी बात का असर उनके अजन्मे पुत्र पर पड़ा और उसको देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया की ये उनका पुत्र नही हो सकता है तभी से शनि के मन में अपने पिता के लिए दुश्मन भाव उत्पन्न हो गया था।

मां के सम्मान के लिए मांगा वरदान

इसके बाद शनि देव ने अपनी साधना और तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्य की भांति शक्ति प्राप्त की और शिवजी ने शनि देव को वरदान मांगने को कहा, तब शनि देव ने प्रार्थना की कि युगों-युगों में मेरी माता छाया की हार होती रही है। उन्हें मेरे पिता सूर्य द्वारा अनेक बार अपमानित किया गया है, अतः माता की इच्छा हैं कि मैं अपने पिता से उनके अपमान का बदला लूं और उनसे भी ज्यादा ताकतवर बनूं. इस पर ईश्वर शंकर ने वरदान देते हुए बोला कि नवग्रहों में शनिदेव की सर्वश्रेष्ठ जगह होगी, और मानव तो क्या देवता भी उनके नाम से भयभीत रहेंगे।