ऐसा मंदिर जहां मूर्तियों की स्थितियां बदलती रहती हैं

लखनऊः हिमांचल प्रदेश की नगरी को देवभूमि भी कहा जाता है। यहाँ पर प्राचीन काल से बहुत से मंदिर है लेकिन उनमे से एक कांगड़ा जिले में अनोखा शिवलिंग है यहाँ के काठगढ़ महादेव मंदिर में अर्धनारीश्वर के रूप में शिवलिंग है व साथ ही शिव-पार्वती की मूर्ति भी है। इन दोनों मुर्तियो के बीच में दूरिया अपने आप बढ़ती घटती रहती है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है कि गृह नक्षत्रो के परिवर्तन के कारण इन मूर्तियों में दूरी बढती-घटती रहती है। यह ईश्वर शिव का अर्धनारीश्वर रूप शीत ऋतू में ही देखने को मिलता है। ऐसा सुना जाता ही है की यह मंदिर सबसे पहले सिकंदर ने बनवाया था। यहाँ की भूमि को समतल करवाया गया और यहाँ पर मंदिर बनवाया था। यह शिवलिंग दो भागो में विभाजित है जो गृह नक्षत्रो के कारण बदलता रहता है। यह शिवलिंग काले भूरे रंग का है। जो शिवलिंग शिव के रूप में पूजे जाते है, उनकी ऊंचाई 7-8 फीट है व जो पार्वती के रूप में पूजे जाते है उनकी ऊंचाई 5-6 फीट है। शिव व पार्वती के अर्धनारीश्वर रूप को देखने के लिए यहाँ भक्तो की भीड़ लगी रहती है लेकिन यहाँ सबसे ज्यादा भीड़ शिवरात्री के दिन रहती है। यहाँ पर शिवरात्री के दिन मेला भी लगता है। सावन के महीने में भी यहाँ भक्तों का जमावड़ा रहता है।