मां के गर्भ में बच्चा 9 माह रहता हैं, जानें क्यों ?

नई दिल्लीः हमारे ब्रह्मांड के 9 ग्रह अपनी-अपनी किरणों से गर्भ मे पल रहे बच्चे को विकसित करते है। हर ग्रह अपने स्वभाव के अनुरूप बच्चे के शरीर के भागो को विकसित करते है। अगर कोई ग्रह गर्भ मे पल रहे बच्चे के समय निर्बल है, तो तरीके से उसको अच्छा किया जा सकता है।

गर्भ से 1 महीने तक शुक्र का असर रहता है-अगर गर्भावस्था के समय शुक्र निर्बल है, तो शुक्र को मजबूत करना चाहिए। अगर शुक्र मजबूत होगा, तो बच्चा बहुत सुंदर होगा और उस समय स्त्री को चटपटी चीजे खानी चाहिए।

शुक्र का दान न करे-अगर दान किया तो शुक्र निर्बल हो जाएगा। दान सिर्फ उसी ग्रह का करे जो पापी व क्रूर हो व उसके कारण गर्भपात का खतरा हो।

दूसरे महीने मंगल का असर रहता है-मीठा खा कर मंगल को मजबूत करे। तथा लाल कपड़ा ज्यादा धारण करे।

तीसरे महीने गुरु का असर रहता है-दूध व चीनी से बनी मिठाई या पकवान का सेवन करे तथा पीले कपड़ा धारण करे।

चैथे महीने सूर्य का असर रहता है-रसों का सेवन करे तथा महरून कपड़ा धारण करे।

पांचवे महीने चंद्र का असर रहता है-दूध व दही तथा चावल सफेद चीजों का सेवन करे तथा सफेद कपड़ा धारण करे।

छटे महीने शनि का असर रहता है-कशीली चीजों केल्शियम व रसों का सेवन करे तथा आसमानी रंग के कपड़े धारण करे।

सातवे महीने बुध का असर रहता है-जूस व फलों का खूब सेवन करे तथा हरे रंग के कपड़े धारण करे।

आठवे महीने फिर चंद्र का तथा नौवे महीने सूर्य का असर रहता है-इस दौरान अगर कोई ग्रह नीच राशि गत भ्रमण कर रहा है, तो उसका पूरे महीने यज्ञ करना चाहिए। जितना गर्भ गृहों की किरणों से तपेगा उतना ही बच्चा महान व मेधावी होगा। जैसे एक मुर्गी अपने अंडे को ज्यादा हीट देती है, तो उसका बच्चा मजबूत पैदा होता है। अगर हीट कम देगी तो उसका चूजा बहुत निर्बल होगा। उसी प्रकार माँ का गर्भ गृहों की किरणों से जितना तपेगा बच्चा उतना ही मजबूत होगा। जैसे गांधारी की आँखों की किरणों के तेज से दुर्योधन का शरीर वज्र का हो गया था।