होली में हानिकारक रंगों से बचाएं बाल, त्वचा

नई दिल्लीः होली हम सभी के लिए खुशियां, मस्ती, रोमांच और उत्साह लेकर आती है, लेकिन रंगों के इस त्योहार में रंग खेलने का जितना उमंग होता है, उससे कहीं ज्यादा रंग छुड़ाने का टेंशन रहता है। दरअसल, बुरा न मानो होली है कहकर रंग फेंकने बाले अल्हड़ युवक-युवतियों की टोलियां अपनी पिचकारी व गुब्बारों में जो रंग इस्तेमाल करते हैं या रंजक व गुलाल का प्रयोग करते हैं, उनमें अभ्रक, शीशा जैसे हानिकारक रसायनिक पदार्थ मिले होते हैं। इनसे त्वचा रुखी और बेजान हो जाती है, बल झड़ने लगते हैं और त्वचा में जलन शुरू हो जाती है। जाहिर है कि मौजूदा दौर में बाजार में बिकने बाले रंगों में हर्बल तथा प्राकृतिक उत्पाद नाममात्र ही होते हैं। लकिन इससे घबराने की जरूरत नही है। आप दिल खोलकर होली खेल सकते हैं और रंगों के हानिकारक प्रभावों से बच सकते हैं। यही नहीं, रंग छुड़ाने का टेंशन भी नही रहेगा, क्योंकि आन चुटकियों में रंग छुड़ा सकते हैं। इसके लिए आपको बस थोड़े से उपाय करने होंगे।

आम तौर पर लोग खुले में रंग खेलते हैं, जिससे सूर्य की गर्मी से भी त्वचा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। खुले आसमान में हानिकाक पराबैंगनी किरणों के साथ-साथ नमी की कमी से त्वचा के रंग में कालापन आ जाता है। होली खेलने के बाद त्वचा निर्जीव बन जाती है। इससे बचने के लिए होली खेलने से 20 मिनट पहले त्वचा पर 20 एस.पी.एफ. सनस्क्रीन का लेप कीजिए। यदि आपकी त्वचा पर फोड़े, फुन्सियां आदि है तो 20 एसपीएफ से ज्यादा सनस्क्रीन का उपयोग करना चाहिए। ज्यादातर सनस्क्रीन में माइस्चराईजर ही विद्यमान होता है। यदि आपकी त्वचा अत्यधिक शुष्क हैं तो सनस्क्रीन लगाने के बाद थोड़ा इंतजार करें और फिर त्वचा पर मॉइस्चराइजर का लेप करें। बाहों व शरीर के सभी खुले अंगों पर मॉइस्चराइजर लोशन या क्रीम का उपयोग करें। होली खेलने से पहले सिर में बालों पर हेयर सीरम या कंडीशनर का उपयोग करें। इससे बालों को गुलाल के रंगों की वजह से पहुंचने वाले सूखेपन से सुरक्षा मिलेगी तथा सूर्य की किरणों से होने वाले नुकसान से भी बचाव मिलेगा।